*एन सी एल बीना परियोजना में आयोजित कवि सम्मेलन चढ़ा अश्लीलता की भेंट-!* *एक बड़े श्रमिक नेता ने पार की अश्लीलता की पराकाष्ठा हुए बेआबरू-!* *आयोजक हुए शर्मसार*, *पुलिस को करना पड़ा हस्तक्षेप-!* *देखिये:-* *"एक नजर सच्ची खबर"!* *"हकीकत के आईने में"!!* *मैं जो देखता हूँ*, *जो सुनता हूँ*, *वही लिखता हूँ, इसमें मेरा क्या कसूर, यदि इसके बाद भी बुरा लगे तो मैं क्या करूँ-!* *बीना।सोनभद्र।* शक्तिनगर थाना परिक्षेत्र के बीना पुलिस चौकी क्षेत्र के बिना परियोजना में विती 30/31 की रात में एनसीएल द्वारा एक "अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन" का आयोजन किया गया था। जो अश्लीलता की भेंट चढ़ते हुए एनसीएल प्रवन्धन व आयोजको को "शर्मसार" कर गया। आयोजित कवि सम्मेलन में देश के कोने- कोने से ख्यातिलब्ध कवि और कवियत्री एनसीएल द्वारा बुलाये गए थे। इस कवि सम्मेलन की शुरुवात परम्परागत ढंग से हुवा। कविसम्मेलन में एनसीएल के वरिष्ठ अधिकारियों ,सहित परियोजना के श्रमिक व स्थानीय आमनागरिक भी बड़ी संख्या में कवि सम्मेलन का लुफ्त उठाने पहुचे हुए थे। इन श्रोताओं में महिला श्रोताओं की भी अच्छी खासी संख्या थी । कवि सम्मेलन के शुरू होने के पहले सोपान में ही एक कवियत्री पर किये गए आपत्तिजनक इशारे,फबबत्तियां व कटाक्ष से वाद विवाद शुरू हो गया और यह देखते देखते इतना आगे बढ़ गया कि यह अश्लीलता की पराकाष्ठा पार कर गया। श्रोताओं को कवि सम्मेलन तो सुनने का आनन्द नही मिला , परन्तु अश्लीलता का ऐसा नग्न तांडव का प्रदर्शन देखने को मिला, जहा युवाओ ने तो इसका भरपूर लुफ्त उठाया , वही महिलाओं को यह शर्मसार कर गया। क्यो की अश्लीलता का यह भोड़ा प्रदर्शन मर्यादा की सीमाओं का सभी हद पार कर गया था। स्थिति इतनी बिगड़ गई की अप्रिय घटना न घटित हो जाये की संभावना बलवती होते देख समय की नजाकत को भांपते हुए किसी ने स्थानीय पुलिस को सूचित कर दिया। सूचना मिलते ही फौरन मय भारी पुलिस बल के साथ चौकी प्रभारी बीना कार्यक्रम स्थल पर पहुच स्थिति को किसी तरह नियंत्रण में किया और कवि सम्मेलन को बन्द करने का निर्देश आयोजको को देदिया। इसकी सूचना जिले के पुलिस अधीक्षक को भी किसी ने सेल फोन पर दे दिया तो वह भी इसकी जानकारी पल की लेने लगे । इस तरह सम्भावित घटने वाली अप्रिय घटना स्थानीय पुलिस की ततपरता व सूझ बूझ से घटते-घटते बची। *एनसीएल को श्रमिक नेता के कृत्य ने किया एनसीएल को कलंकित-!* अब आपको बता दे की एनसीएल में अधिकृत सबसे बड़े श्रमिक संगठन के सबसे बड़े नेता कार्यक्रम में भरपूर नशे में धुत्त श्रोताओं की वीवीआईपी गैलरी के सोफे पर विराजमान थे, जैसे ही एक कवियत्री जो इस तरह की बला थी कि नेता जी देखते ही मदहोश उठे और एनसीएल के पूर्व के संस्कृति, व परम्परा का याद दिलाते हुए कवियत्री पर आपत्ति जनक इशारा व कटाक्ष स्वभाव के अनुसार कर वैठे जो कवियत्री को नागवार गुजरी तो उसने भी मंच से पलटवार करते हुए धमाकेदार जबाब "नहले पर दहला" जड़ दिया। फिर क्या यह तो आग में घी का काम कर गया। इसके बाद जाम के जुनून में मदमस्त नेता जी तिलमिला के रह गए। सरे मैफिल मिले जबाब से शर्मिंदा होने के बजाए एनसीएल को अपनी जागीर समझने वाले सेवानिवृत्ति के बाद भी नेता जी अपनी हनक दिखाने पर उतारू होगये । भले ही उनको इस भूली की भारी कीमत इस वुढापे में पुलिस के हाथों जलील होते हुए बेआबरू हो चुकानी पड़ी। लेकिन देश के सार्वजनिक प्रतिष्ठान को ट्रेड यूनिन का नेता होने के नाते अपनी जागीर समझने वाले नेता जी यह तो तब समझे जब कई घण्टो बाद जाम का उनके सर चढ़ा सुरूर नीचे उतरा, तब तक बहुत देर होगयी थी। *शर्मसार हो अधिकारी देखते रहे अश्लीलता का नग्न तांडव-!* नेता जी के हरकत से एनसीएल के अधिकारी, कर्मचारी हतप्रभ थे। वे नेता जी के इस कृत्य से अपने को शर्मसार महसूस कर रहे थे। क्योंकि यह घटना एनसीएल के आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमो की श्रृंखला के इतिहास में पहली बार घटित हुई थी। जो एनसीएल के माथे पर एक कला धब्बा छोड़ गई। *देखिये नेता जी के बिगड़े बोल-!* तमतमाये नेता जी के यह बोल की "यहा जो आता है उसे----- सोना------ तभी वह गाता है"-! ने एनसीएल के "महान संस्कृति" को क्षण भर में "तार -तार" कर के रख दिया और एनसीएल के सांस्कृतक आयोजनों के पीछे के रहस्य को भी सरेआम "बेपर्दा" कर दिया , जो आयोजको के मष्तिष्क को झकझोर के रख दिया। *भीष्म पितामह की तरह देखते रहे परियोजना के मुखिया मंच,मैफिल व कवियत्री का चीरहरण-!* यह सब घटना परियोजना के महाप्रबंधक व अन्य उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में घटित हुआ। लेकिन नेता जी की हनक के आगे सभी मूक दर्शक विकलांग जैसे , "हाथ पर हाथ रखे", "कान में तेल डाल", "आँख मुदे" , भीष्म पितामह की भूमिका में कवियत्री व मैफिल, मंच का चीरहरण बेबस हो देखने को विबस थे। इसे कहते है ठसक के नेता गिरी करना और "हड्डी पर कबड्डी खेलना"। इस तरह सांस्कृतिक आयोजनों के नाम पर देश की जनता का भारी भरकम पैसा खर्च करने के पीछे की मंशा का रहस्य नेता जी ने एक ही झटके में खोल कर सार्वजनिक तौर पर रख दिया। इस सच को उजागर करने के लिए लोग नेता जी के भी हिम्मत का दाद दे रहे है। देश की जनता के पैसे पर गुलछर्रे उड़ाने का राज फॉस भी इनमें बराबर के भागीदार नेता जी ने नशे में ही सही कर ही दिया। कहावत है कि नशे में अक्सर मन की बात ज्यादा तर "सच" ही निकलती है! मौके की नजाकत को देखते हुए स्थानीय पुलिस ने नेता जी को बल पूर्वक कार्यक्रम स्थल से बाहर निकल उन्हें उनकी गाड़ी में बिठा उनके घर भेजा और कार्यक्रम को बन्द करने का निर्देश देते हुए रातों रात कवियत्री सहित सभी कवियों को सिंगरौली से उनके शहर यानी उनके गंतव्य की ओर आनन फानन में रवाना कर दिया गया। तबजाकेपुलिस,प्रवन्धन,आयोजको ने राहत की सांस ली। सभी उक्त नेता के कुकृत्य व हरकत को जीभर के हिकारत भरे नजरो से कोसते रहे। नेता जी ने भी यह कहावत सच कर दिखाया कि "साठा- तब पाठा" लोगो ने चुटकी लेते हुए कहा कि नेता जी भी क्या कमाल के है इस उम्र में भी मदमस्त है। इस तरह "कवि सम्मेलन अश्लीलता की भेंट चढ़ गया" और श्रोता गण निरश कवि सम्मेलन का काव्य पाठ तो नही सुन सके लेकिन नेता जी का "नग्न तांडव नृत्य" व सफेद पोस की लिबास में छिपा एक "भेड़िया" को अपने आँखों देख मन मसोस कर अपने घर लौट गए। थोड़े देर के लिए कार्यक्रम स्थल पर तनाव की स्थिति उतपन्न हो गयी क्यो की जहा नेता जी के गुर्गे कार्यक्रम बन्द कराने पर तुले थे और नारे बाजी कर रहे थे, वहीं बड़ी संख्या में श्रोता कर्यक्रम कराने के पक्ष में खड़े हो के नारे बाजी करने लगे थे। बिगड़ती स्थिति को देख पुलिस ने कार्यक्रम बन्द करा कार्यक्रम स्थल को जनता से खाली करा स्थिति पर नियंत्रण किया।
*एन सी एल बीना परियोजना में आयोजित कवि सम्मेलन चढ़ा अश्लीलता की भेंट-!*
*एक बड़े श्रमिक नेता ने पार की अश्लीलता की पराकाष्ठा हुए बेआबरू-!*
*आयोजक हुए शर्मसार*,
*पुलिस को करना पड़ा हस्तक्षेप-!*
*देखिये:-*
*"एक नजर सच्ची खबर"!*
*"हकीकत के आईने में"!!*
*मैं जो देखता हूँ*, *जो सुनता हूँ*,
*वही लिखता हूँ, इसमें मेरा क्या कसूर, यदि इसके बाद भी बुरा लगे तो मैं क्या करूँ-!*
*बीना।सोनभद्र।*
शक्तिनगर थाना परिक्षेत्र के बीना पुलिस चौकी क्षेत्र के बिना परियोजना में विती 30/31 की रात में एनसीएल द्वारा एक "अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन" का आयोजन किया गया था।
जो अश्लीलता की भेंट चढ़ते हुए एनसीएल प्रवन्धन व आयोजको को "शर्मसार" कर गया।
आयोजित कवि सम्मेलन में देश के कोने- कोने से ख्यातिलब्ध कवि और कवियत्री एनसीएल द्वारा बुलाये गए थे।
इस कवि सम्मेलन की शुरुवात परम्परागत ढंग से हुवा।
कविसम्मेलन में एनसीएल के वरिष्ठ अधिकारियों ,सहित परियोजना के श्रमिक व स्थानीय आमनागरिक भी बड़ी संख्या में कवि सम्मेलन का लुफ्त उठाने पहुचे हुए थे।
इन श्रोताओं में महिला श्रोताओं की भी अच्छी खासी
संख्या थी ।
कवि सम्मेलन के शुरू होने के पहले सोपान में ही एक कवियत्री पर किये गए आपत्तिजनक इशारे,फबबत्तियां व कटाक्ष से वाद विवाद शुरू हो गया और यह देखते देखते इतना आगे बढ़ गया कि यह अश्लीलता की पराकाष्ठा पार कर गया।
श्रोताओं को कवि सम्मेलन तो सुनने का आनन्द नही मिला ,
परन्तु अश्लीलता का ऐसा नग्न तांडव का प्रदर्शन देखने को मिला, जहा युवाओ ने तो इसका भरपूर लुफ्त उठाया ,
वही महिलाओं को यह शर्मसार कर गया।
क्यो की अश्लीलता का यह भोड़ा प्रदर्शन मर्यादा की सीमाओं का सभी हद पार कर गया था।
स्थिति इतनी बिगड़ गई की अप्रिय घटना न घटित हो जाये की संभावना बलवती होते देख समय की नजाकत को भांपते हुए किसी ने स्थानीय पुलिस को सूचित कर दिया।
सूचना मिलते ही फौरन मय भारी पुलिस बल के साथ चौकी प्रभारी बीना कार्यक्रम स्थल पर पहुच स्थिति को किसी तरह नियंत्रण में किया और कवि सम्मेलन को बन्द करने का निर्देश आयोजको को देदिया।
इसकी सूचना जिले के पुलिस अधीक्षक को भी किसी ने सेल फोन पर दे दिया तो वह भी इसकी जानकारी पल की लेने लगे ।
इस तरह सम्भावित घटने वाली अप्रिय घटना स्थानीय पुलिस की ततपरता व सूझ बूझ से घटते-घटते बची।
*एनसीएल को श्रमिक नेता के कृत्य ने किया एनसीएल को कलंकित-!*
अब आपको बता दे की एनसीएल में अधिकृत सबसे बड़े श्रमिक संगठन के सबसे बड़े नेता कार्यक्रम में भरपूर नशे में धुत्त श्रोताओं की वीवीआईपी गैलरी के सोफे पर विराजमान थे,
जैसे ही एक कवियत्री जो इस तरह की बला थी कि नेता जी देखते ही मदहोश उठे और एनसीएल के पूर्व के संस्कृति, व परम्परा का याद दिलाते हुए कवियत्री पर आपत्ति जनक इशारा व कटाक्ष स्वभाव के अनुसार कर वैठे जो कवियत्री को नागवार गुजरी तो उसने भी मंच से पलटवार करते हुए धमाकेदार जबाब "नहले पर दहला" जड़ दिया।
फिर क्या यह तो आग में घी का काम कर गया।
इसके बाद जाम के जुनून में मदमस्त नेता जी तिलमिला के रह गए।
सरे मैफिल मिले जबाब से शर्मिंदा होने के बजाए एनसीएल को अपनी जागीर समझने वाले सेवानिवृत्ति के बाद भी नेता जी अपनी हनक दिखाने पर उतारू होगये ।
भले ही उनको इस भूली की भारी कीमत इस वुढापे में पुलिस के हाथों जलील होते हुए बेआबरू हो चुकानी पड़ी।
लेकिन देश के सार्वजनिक प्रतिष्ठान को ट्रेड यूनिन का नेता होने के नाते अपनी जागीर समझने वाले नेता जी यह तो तब समझे जब कई घण्टो बाद जाम का उनके सर चढ़ा सुरूर नीचे उतरा, तब तक बहुत देर होगयी थी।
*शर्मसार हो अधिकारी देखते रहे अश्लीलता का नग्न तांडव-!*
नेता जी के हरकत से एनसीएल के अधिकारी, कर्मचारी हतप्रभ थे।
वे नेता जी के इस कृत्य से अपने को शर्मसार महसूस कर रहे थे।
क्योंकि यह घटना एनसीएल के आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमो की श्रृंखला के इतिहास में पहली बार घटित हुई थी।
जो एनसीएल के माथे पर एक कला धब्बा छोड़ गई।
*देखिये नेता जी के बिगड़े बोल-!*
तमतमाये नेता जी के यह बोल की "यहा जो आता है उसे----- सोना------ तभी वह गाता है"-!
ने एनसीएल के "महान संस्कृति" को क्षण भर में "तार -तार" कर के रख दिया और एनसीएल के सांस्कृतक आयोजनों के पीछे के रहस्य को भी सरेआम "बेपर्दा" कर दिया ,
जो आयोजको के मष्तिष्क को झकझोर के रख दिया।
*भीष्म पितामह की तरह देखते रहे परियोजना के मुखिया मंच,मैफिल व कवियत्री का चीरहरण-!*
यह सब घटना परियोजना के महाप्रबंधक व अन्य उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में घटित हुआ।
लेकिन नेता जी की हनक के आगे सभी मूक दर्शक विकलांग जैसे , "हाथ पर हाथ रखे", "कान में तेल डाल", "आँख मुदे" ,
भीष्म पितामह की भूमिका में कवियत्री व मैफिल, मंच का चीरहरण बेबस हो देखने को विबस थे।
इसे कहते है ठसक के नेता गिरी करना और "हड्डी पर कबड्डी खेलना"।
इस तरह सांस्कृतिक आयोजनों के नाम पर देश की जनता का भारी भरकम पैसा खर्च करने के पीछे की मंशा का रहस्य नेता जी ने एक ही झटके में खोल कर सार्वजनिक तौर पर रख दिया। इस सच को उजागर करने के लिए लोग नेता जी के भी हिम्मत का दाद दे रहे है।
देश की जनता के पैसे पर गुलछर्रे उड़ाने का राज फॉस भी इनमें बराबर के भागीदार नेता जी ने नशे में ही सही कर ही दिया।
कहावत है कि नशे में अक्सर मन की बात ज्यादा तर "सच" ही निकलती है!
मौके की नजाकत को देखते हुए स्थानीय पुलिस ने नेता जी को बल पूर्वक कार्यक्रम स्थल से बाहर निकल उन्हें उनकी गाड़ी में बिठा उनके घर भेजा और कार्यक्रम को बन्द करने का निर्देश देते हुए रातों रात कवियत्री सहित सभी कवियों को सिंगरौली से उनके शहर यानी उनके गंतव्य की ओर आनन फानन में रवाना कर दिया गया।
तबजाकेपुलिस,प्रवन्धन,आयोजको ने राहत की सांस ली।
सभी उक्त नेता के कुकृत्य व हरकत को जीभर के हिकारत भरे नजरो से कोसते रहे।
नेता जी ने भी यह कहावत सच कर दिखाया कि "साठा- तब पाठा" लोगो ने चुटकी लेते हुए कहा कि नेता जी भी क्या कमाल के है इस उम्र में भी मदमस्त है।
इस तरह "कवि सम्मेलन अश्लीलता की भेंट चढ़ गया" और श्रोता गण निरश कवि सम्मेलन का काव्य पाठ तो नही सुन सके लेकिन नेता जी का "नग्न तांडव नृत्य" व सफेद पोस की लिबास में छिपा एक "भेड़िया" को अपने आँखों देख मन मसोस कर अपने घर लौट गए।
थोड़े देर के लिए कार्यक्रम स्थल पर तनाव की स्थिति उतपन्न हो गयी क्यो की जहा नेता जी के गुर्गे कार्यक्रम बन्द कराने पर तुले थे और नारे बाजी कर रहे थे, वहीं बड़ी संख्या में श्रोता कर्यक्रम कराने के पक्ष में खड़े हो के नारे बाजी करने लगे
थे।
बिगड़ती स्थिति को देख पुलिस ने कार्यक्रम बन्द करा कार्यक्रम स्थल को जनता से खाली करा स्थिति पर नियंत्रण किया।
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